Sunday, September 26, 2021

पुत्री कौन है?

पिता का मान है पुत्री,

पिता का सम्मान है पुत्री।

माँ की लाडली है पुत्री,

माँ की जान है पुत्री।

परिवार की शान है पुत्री,

कुल का अलंकार है पुत्री।


©निशान्त पन्त

Sunday, January 24, 2021

एक सैनिक की आरजू

 "सैनिक के दिल की आरजू"


तू माँ है मेरी ओ धरती माँ,

तेरा कर्ज है मेरे जीवन पर।

जो चुका न पाऊं जीते जी,

मरके भी चुका न पाऊँगा।


तू आन मेरी, तू शान मेरी,

तेरी रक्षा करते मिट जाऊं,

मैं अपना शीश कटा कर भी,

तेरा मान कभी न घटने दूं।


मातृभूमि की लाज रखूं,

मेरे दिल का यही एक सपना है,

तुझ पर ही मिटा दूं जीवन अब, 

यही मेरे दिल की तमन्ना है।


तुझ पे ही शुरू, और तुझ पे ही खतम

हो जीवन अब, यही सपना है।

कमजोर पड़े न विश्वास कभी,

कि मेरी धरती माँ तू सलामत रहे।


तेरी मिट्टी में मिल जावाँ,

फूल बनके मैं खिल जावाँ,

बस इतनी सी है मेरी आरजू।


-

निशान्त पन्त

© निशान्त पन्त

Sunday, May 3, 2020

कोरोना

रोज़ सुबह ऑफिस को जाना,
शाम को थककर वापस आना,
तूने सब कुछ थाम दिया कोरोना,
ले ली अनगिनत जानें, अब तो बस करोना।

मुश्किल ये घड़ी है
मुसीबत ये बड़ी है।
मजबूरी ही सही लेकिन,
वर्क फ्रॉम होम,
अब लगता सही है।
छूने से फैले कोरोना,
अब नमस्ते ही सही है।
मनुष्य प्राणी है सामाजिक,
प्राण बचाने को अब,
सामाजिक दूरी ही सही है।
अपनी, सबकी, जग की सुरक्षा,
के लिए घर में रहना ही सही है।

-
© निशान्त पन्त

Wednesday, January 1, 2020

"मैं झुकने को नहीं कहता"

स्वरचित मौलिक रचना
कविता

"मैं झुकने को नहीं कहता"

मैं झुकने को नहीं कहता।
मैं रुकने को नहीं कहता।
मैं सोचने को हूँ कहता।
आत्मचिंतन को हूँ कहता।

जो बीत गयी वो बीत गयी।
अब आगे की बात करो।
थोड़ा मैं बढूं , कुछ तुम बढ़ो।
जीवन का नया स्वाद चखो।

-
© निशान्त पंत

खामोश हूँ मैं

"खामोश हूँ मैं"

एक खामोशी सी है,
है एक सिरहन सी,
मीठी सी याद है,
खुशी भरे दिन की।
खामोश हूँ मैं,
या किसी गम
में मसरूफ हूँ।
अकेलेपन में
कहीं गुम हूँ मैं।
जीवन की किताब हूँ मैं,
या किताब का फटा
पन्ना किसी के लिए।
सोचा न था, दिन ऐसा
भी आयेगा,
जब मन मेरा यूँ,
अंधेरे में खो जायेगा।
अच्छा है खामोश हूँ,
मैं खामोश सैलाब हूँ।

-
निशान्त पंत 'निशु'

रिश्ते नाते - एक फॉरमैलिटी

रिश्ते नाते - एक फॉरमैलिटी

साथ खेलना, साथ झगड़ना
साथ मे खाना, और साथ में पीना,
साथ में सब त्योहार मनाना
सबकी यह दिनचर्या थी।
दूर होने पर बजती,
फ़ोन की घंटी थी।

आज आ गयी फेसबुक तो,
नाम के रह गए रिश्ते नाते।
सब फेसबुक फ्रेंड बन जाते,
चाहे हो त्योहार , जन्मदिन।
बधाई फेसबुक पर ही देते।

रिश्ते नाते सब फॉर्मेलिटी,
प्यार मोहब्बत सब फॉर्मेलिटी।
ऐसी सोच का परित्याग करो,
आओ मिल-जुल कर सब,
नए रिश्ते की शुरुवात करो।

-निशान्त पंत

हिमालय

"हिमालय"

भारत माँ का मुकुट हिमालय
हिम् खंडों से बना हिमालय,
ऊंची ऊंची चोटी इसकी,
हिम की चादर ओढ़े रहतीं,
लगती कितनी पावन निर्मल,
यह माँ गंगा का उद्गम स्थल,
जलधारा अनेकों बहतीं कल-कल,
भोले बाबा का घर हिमालय,
कितना सुंदर है हिमालय।
भारत माँ का मुकुट हिमालय
हिम् खंडों से बना हिमालय।


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© निशान्त पन्त 'निशु'