जब शहर में दिन ढल जाये,
बलात्कारी घर से निकल आयें।
जब भी कोई अकेली लड़की नज़र आये,
वो उस पर अपनी गिद्ध सी नज़र गढ़ाए।
लड़की नज़र बचाए, घबराये,
लेकिन इन राक्षसों शर्म न आये।
ये हैं हवस के पुजारी,
इनको दुनिया कहती है बलात्कारी।
इनके ऊपर है बड़े बड़ो का हाथ,
इनको कोई सजा दे पायेगा? है किसी की औकात?
हमें खुद ही अपनी बहु-बेटियों को बचाना होगा,
इन बलात्कारियो को मिटाना होगा.
© निशान्त पन्त