चले बाघ, बकरी चराने
जिनकी थी सबको चाहत
देशवासियों उस युगपुरुष को
सब कहते थे हरीश रावत।
बेकार हुआ सब दावँ पेच,
जब जनता ने मतदान किया।
नतीजा जब निकला चुनाव का,
सबका घमंड, छिन्न-भिन्न हुआ।
दावँ पेच के बड़े खिलाड़ी,
थे जोड़ तोड़ के बाहुबली।
जनता ने जब दम्भ भरा,
चहुँओर मच गयी खलबली।
जन-जन के हित रखे ताक पर,
न दिया कभी किसी को सम्मान।
जनता ने जब मतदान किया,
तब टूट गया सबका अभिमान।
-निशान्त पन्त 'निशु'
जिनकी थी सबको चाहत
देशवासियों उस युगपुरुष को
सब कहते थे हरीश रावत।
बेकार हुआ सब दावँ पेच,
जब जनता ने मतदान किया।
नतीजा जब निकला चुनाव का,
सबका घमंड, छिन्न-भिन्न हुआ।
दावँ पेच के बड़े खिलाड़ी,
थे जोड़ तोड़ के बाहुबली।
जनता ने जब दम्भ भरा,
चहुँओर मच गयी खलबली।
जन-जन के हित रखे ताक पर,
न दिया कभी किसी को सम्मान।
जनता ने जब मतदान किया,
तब टूट गया सबका अभिमान।
-निशान्त पन्त 'निशु'