हिमालय से वो अटल,
भागीरथी से सरल,
निर्मल था जिनका हृदय,
ऐसे थे हमारे अटल।
राह थी भले कठिन,
रुके नहीं, थमे नहीं,
मन मे देश प्रेम था,
ऐसे थे हमारे अटल।
देश सेवा के लिये,
सर्वत्र अर्पित कर दिया,
बहुमूल्य जीवन दे दिया,
ऐसे थे हमारे अटल।
देशप्रेम कूट कूट,
कर भरा था हृदय।
रक्त की एक एक बूंद,
में बसी थी माँ भारती।
ऐसे थे हमारे अटल।
भागीरथी से सरल,
निर्मल था जिनका हृदय,
ऐसे थे हमारे अटल।
राह थी भले कठिन,
रुके नहीं, थमे नहीं,
मन मे देश प्रेम था,
ऐसे थे हमारे अटल।
देश सेवा के लिये,
सर्वत्र अर्पित कर दिया,
बहुमूल्य जीवन दे दिया,
ऐसे थे हमारे अटल।
देशप्रेम कूट कूट,
कर भरा था हृदय।
रक्त की एक एक बूंद,
में बसी थी माँ भारती।
ऐसे थे हमारे अटल।
यह कविता "भारत रत्न" स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित है।
-© निशान्त पन्त "निशु"
No comments:
Post a Comment