Sunday, December 30, 2012

बलात्कारी


जब शहर में दिन ढल जाये,
बलात्कारी घर से निकल आयें।
जब भी कोई अकेली लड़की नज़र आये,
वो उस पर अपनी गिद्ध सी नज़र गढ़ाए।
लड़की नज़र बचाए, घबराये,
लेकिन इन राक्षसों शर्म न आये।


ये हैं हवस के पुजारी,
इनको दुनिया कहती है बलात्कारी।
इनके ऊपर है बड़े बड़ो का हाथ,
इनको कोई सजा दे पायेगा? है किसी की औकात?

हमें खुद ही अपनी बहु-बेटियों को बचाना होगा,
इन बलात्कारियो को मिटाना होगा.


© निशान्त पन्त

"दामिनी"

दोस्तों, "दामिनी" ने आखिकार दम तोड़ ही दिया. 

हमें दामिनी का असली नाम तक नहीं पता लेकिन हमें उसके इस तरह दुनिया छोड़ कर जाने का बड़ा ही अफ़सोस हैं. 

दोस्तों बलात्कारी अभी भी जीवित है. भारत सरकार से हमारी यही गुजारिश है की बलात्कारियो को कड़ी से कड़ी सजा दे और ऐसी घटनाओं को भविष्य मैं होने से रोकने के लिए कठोर से कठोर क़ानून बनाया जाये.

हमारे हिसाब से तो बलात्कारियो को मौत की सजा देना बेकार ही है क्यूंकि मौत की सजा देने से तो वो एक हे बार मैं मर जायेंगे और वो दर्द नहीं सह पायेंगे जो उन्होंने दामिनी को दिया और उसके परिवार को दिया है. इनकी सजा तो सिर्फ ये है की इनको जिन्दा रखा जाये लेकिन इनका एक हाथ और एक पैर काट दिया जाये. जिससे ये जब भी अपना कटा हुआ हाथ और पैर देखेंगे तो उनको हमेशा याद आता रहेगा की उन्होंने दामिनी के साथ क्या किया?

© निशान्त पन्त