Tuesday, January 29, 2013

असली लुटेरे कौन?

प्यारे दोस्तों, आप सभी के लिए एक छोटा सा व्यंग्य पेश है....


गब्बर: अरे ओ सांभा! सरकार कितना इनाम रखी है हमारे ऊपर?

सांभा: सरदार पूरे १०० करोड़

गब्बर: इतना कम? इससे ज्यादा कीमत का तो चारा इस देश के नेता खा जाते हैं और बैशाखियाँ, ताबूत इत्यादि बेच कर खा जातें हैं. तो मेरे ऊपर इतने कम का इनाम क्यूँ? बहुत नाइंसाफी है.....

सांभा: क्या करें सरदार, डाकुओं से खतरा तो केवल छोटे मोटे गावों को है. हम तो केवल जमाखोरों, जमीदारों इत्यादि को लूटते हैं लेकिन हम से बढ़े लुटेरे तो ये भ्रष्ट नेता हैं जो देश की भोली-भाली, गरीब जनता को लूटते हैं.

इसलिए असली लुटेरे कौन है? हम या इस देश के भ्रष्ट नेता?

साभार
"अकेला"

Tuesday, January 22, 2013

आजकल जेब मैं पैसे नहीं रहते मेरे.

आजकल जेब मैं पैसे नहीं रहते मेरे.
बोलो कभी देखा है तुमने, मुझे पैसे खर्चते हुए?

जब भी डाला है जेब मैं हाथ, तो खाली पाया है.
नेता कहतें हैं कि, पैसा कहीं और छुपाया है!
हमने देखा है गरीबी को, बड़े करीब से.

सारा पैसा नेता की जेब मैं आया है.
गरीब के हाथ भला कभी कुछ आया है?
बदनसीबी भी जैसे, हमसफ़र बनी है.

नींद उड़ गयी है, पेट खाली है.
रात दिन आँखों मैं, अच्छा खाना है.
खाली पेट किसी को, मरते हुए कभी देखा है?

आजकल जेब मैं पैसे नहीं रहते मेरे.
बोलो कभी देखा है तुमने, मुझे पैसे खर्चते हुए?

साभार
©  निशान्त पन्त

Friday, January 4, 2013

चुनावी वादे

चलते चलते, राह में हमको मिल गए नेता जी.
हमने पूछा, कहाँ चल दिए नेता जी?

नेता जी ने कहा आज पड़ोंस के शहर में हमारा भाषण है.
हमने फ़िल्मी अभिनेत्री बुलाई है, और ढेर साडी भीड़ जुटाई है.

आप तो जानते ही हैं, आज कल नेताओ की कौन सुनने आता है.
वो तो इन अभिनेताओं का जलवा है, नहीं तो रैली में दिखते केवल कार्यकर्ता हैं.

इन लोगों को दिखा दिखा कर हम अपनी बात जनता को सुनाते हैं.
नहीं तो इंसान क्या, जानवर भी हमारी घिसी पिटी बातें सुनकर बोर हो जाते हैं.

हम ने कहा नेता जी....
तो ऐसा करिए, इस बार जो वादे कर रहे हैं उनमें से एक तो पूरा करिए!

नेता जी मुस्कुरा कर बोले, भाई अकेला...
अगर वादे पूरे कर देंगे, तो अगली बार चुनावी रैली में नए वादे कहाँ से लायेंगे?

और रही बात अगले चुनाव की, तो अगली चुनावी रैली में, एक मस्त अभिनेत्री बुलाएँगे.
युवा तो युवा, बुजुर्ग भी रैली में दौड़े चले आयेंगे.


साभार
© निशान्त पन्त