Sunday, February 11, 2018

"मैंने जीना सीख लिया"

हृदय पटल पर सुंदर स्मृति,
फिर सजीव हो जाती है।
जब तस्वीर तुम्हारी,
सामने आ जाती है।

हो उठता है व्याकुल हृदय,
अश्रु धार बह जाती है।
जब जब इस हृदय में,
याद तुम्हारी आ जाती है।

आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।

न तेरा दोष है,
न मेरा दोष है।
दोषी तो केवल परिस्थिति,
जिस कारण से वियोग हुआ।

आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।

- © निशान्त पन्त "निशु"