हृदय पटल पर सुंदर स्मृति,
फिर सजीव हो जाती है।
जब तस्वीर तुम्हारी,
सामने आ जाती है।
हो उठता है व्याकुल हृदय,
अश्रु धार बह जाती है।
जब जब इस हृदय में,
याद तुम्हारी आ जाती है।
आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।
न तेरा दोष है,
न मेरा दोष है।
दोषी तो केवल परिस्थिति,
जिस कारण से वियोग हुआ।
आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।
- © निशान्त पन्त "निशु"
फिर सजीव हो जाती है।
जब तस्वीर तुम्हारी,
सामने आ जाती है।
हो उठता है व्याकुल हृदय,
अश्रु धार बह जाती है।
जब जब इस हृदय में,
याद तुम्हारी आ जाती है।
आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।
न तेरा दोष है,
न मेरा दोष है।
दोषी तो केवल परिस्थिति,
जिस कारण से वियोग हुआ।
आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।
- © निशान्त पन्त "निशु"