Wednesday, May 29, 2013

क्या आप स्वतंत्र हैं?

भारत को आज़ाद हुए ६६ साल बीत चुके हैं लेकिन हम आज भी स्वतंत्र नहीं हो पाए हैं. फर्क सिर्फ इतना है की पहले हम गोरे अंग्रेजों के गुलाम थे और आज काले अंग्रेजों (भ्रष्ट नेताओं) के गुलाम बन चुके हैं.

देश की कानून व्यवस्था इतनी खोखली हो चुकी है जिसका कोई जवाब नहीं. बलात्कार पीड़ित महिला पुलिस थाने मैं रिपोर्ट लिखाने जाती है तो पुलिस उसको ही पकड़ लेती है, सड़क में चल रहा कोई राहगीर किसी दुर्घटना पीड़ित व्यक्ति को हॉस्पिटल ले जाता है तो डॉक्टर बोलता है की ये पुलिस केस है पहले पुलिस मैं रिपोर्ट कराओ फिर इलाज होगा, सरकारी ऑफिस में किसी काम के लिए जाओ तो चपरासी अधिकारी से मिलाने के लिए पैसे मांगता है, अधिकारी से किसी ऐसे काम को कराना हो जो की आपका हक है के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं. देश की पुलिस भ्रष्ट नेताओ के हाथ की कठपुतली बन गयी है. कानून व्यस्था सिर्फ आम आदमी के लिए ही है. नेताओ के ऊपर कानून व्यस्था लागू ही नहीं होती है. एक चोर हज़ार रूपये चुराता है तो उसको पुलिस पकड़ लेती है और जेल में डाल देती है. अगर इस देश के भ्रष्ट नेता लाखों , करोड़ो रूपये डकार जाते हैं उनका पुलिस कुछ भी नहीं कर पाती है.

अर्थात कानून आम आदमी के लिए अलग हिसाब से काम करता है और भ्रष्ट नेताओं, माननीयों के लिए अलग.

क्या आप अब भी समझते हैं कि आप स्वतंत्र है? जवाब आपको खुद सोचना है.

अगर आपका जवाब "हाँ" है तो जैसा चल रहा है उसे मूक दर्शक कि तरह देखते और सुनते रहें.

और अगर आपका जवाब "नहीं" है तो कृपया मूक दर्शक बने रहने कि बजाय इस खोखली व्यस्था के खिलाफ कड़े कदम उठाएं. आपके साथ कुछ भी गलत हो तो उसको सहने के बजाये उसका विरोध करें. क्यूँकि किसी  महान व्यक्ति ने कहा था कि "जुर्म करने वाले से सहने वाला ज्यादा गुनहेगार होता है.



साभार
निशान्त पन्त