"सैनिक के दिल की आरजू"
तू माँ है मेरी ओ धरती माँ,
तेरा कर्ज है मेरे जीवन पर।
जो चुका न पाऊं जीते जी,
मरके भी चुका न पाऊँगा।
तू आन मेरी, तू शान मेरी,
तेरी रक्षा करते मिट जाऊं,
मैं अपना शीश कटा कर भी,
तेरा मान कभी न घटने दूं।
मातृभूमि की लाज रखूं,
मेरे दिल का यही एक सपना है,
तुझ पर ही मिटा दूं जीवन अब,
यही मेरे दिल की तमन्ना है।
तुझ पे ही शुरू, और तुझ पे ही खतम
हो जीवन अब, यही सपना है।
कमजोर पड़े न विश्वास कभी,
कि मेरी धरती माँ तू सलामत रहे।
तेरी मिट्टी में मिल जावाँ,
फूल बनके मैं खिल जावाँ,
बस इतनी सी है मेरी आरजू।
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निशान्त पन्त
© निशान्त पन्त