Sunday, November 4, 2018

शराबी

प्यारे दोस्तों, ज्यादातर मैं शायरी नहीं लिखता हूँ लेकिन प्रयास मात्र कर लेता हूँ।

संभवत: सभी को पसंद आएगी।

हाथ में जाम, जाम में बर्फ
बर्फ में चेहरा दिलबर का
दिखाई देता है।
लबों पर आ जाती है मुस्कान, जब कोई कमबख्त हमको
शराबी कहता है।


-
© निशान्त पन्त

Thursday, August 16, 2018

अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित कविता "अटल"

हिमालय से वो अटल,
भागीरथी से सरल,
निर्मल था जिनका हृदय,
ऐसे थे हमारे अटल।

राह थी भले कठिन,
रुके नहीं, थमे नहीं,
मन मे देश प्रेम था,
ऐसे थे हमारे अटल।

देश सेवा के लिये,
सर्वत्र अर्पित कर दिया,
बहुमूल्य जीवन दे दिया,
ऐसे थे हमारे अटल।

देशप्रेम कूट कूट,
कर भरा था हृदय।
रक्त की एक एक बूंद,
में बसी थी माँ भारती।

ऐसे थे हमारे अटल।


यह कविता "भारत रत्न" स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित है।

-© निशान्त पन्त "निशु"

Sunday, June 3, 2018

क्यूँ

लिखूं या न लिखूं,
ये सोचता हूँ क्यूँ?
चलूँ या न चलूँ,
ये सोचता हूँ क्यूँ?
रहूँ या न रहूँ,
ये सोचता हूँ क्यूँ?

बस ये "क्यूँ" ही क्यूँ?

क्यूँ ये जीवन आधार है,
इसी क्यूँ को सोचने में,
दिन ये ढल जाता है क्यूँ?
सुहानी शाम आती है क्यूँ?
अंधेरा पसर जाता है क्यूँ?
निशा छा जाती है क्यूँ?
बस इसी सोच में,
भोर हो जाती है क्यूँ?


-साभार
© निशान्त पन्त "निशु"

Sunday, February 11, 2018

"मैंने जीना सीख लिया"

हृदय पटल पर सुंदर स्मृति,
फिर सजीव हो जाती है।
जब तस्वीर तुम्हारी,
सामने आ जाती है।

हो उठता है व्याकुल हृदय,
अश्रु धार बह जाती है।
जब जब इस हृदय में,
याद तुम्हारी आ जाती है।

आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।

न तेरा दोष है,
न मेरा दोष है।
दोषी तो केवल परिस्थिति,
जिस कारण से वियोग हुआ।

आशाओं का वृक्षारोपण,
करके जीना सीख लिया।
तुम को यादों में रख कर,
मैंने जीना सीख लिया।

- © निशान्त पन्त "निशु"

Sunday, January 28, 2018

कल्पना

सुबह तुम्हारा अंगड़ाई लेना,
फिर मुझसे गले लग जाना।
नर्म होठों से अपने,
मेरे हृदय को छू जाना,
बड़ा अच्छा लगता है।

तुम्हारा अधरों से अपने,
मेरे अधरों को छू लेना,
बड़ा अच्छा लगता है।

तुम्हारी गर्म सांसो का,
मेरे चेहरे को छू जाना,
बड़ा अच्छा लगता है।

बाहों में बाहें डाल कर,
साथ बैठे रहना,
बड़ा अच्छा लगता है।

काश तुम अभी मेरे पास होती,
यह कल्पना करना ही,
बड़ा अच्छा लगता है।

- © निशान्त पन्त "निशु"