Saturday, March 14, 2015

तलाश

जिंदगी की तलाश में,
गुज़रते हैं दिन मेरे।
तलाश है कि पूरी होती नहीं।
समय सीमा समाप्त होती नहीं।
ह्रदय की वेदना कम होती नहीं।

कब ज्ञान होगा जीवन के मूलाधार का!
कब उस परम ब्रह्म की प्राप्ति होगी!
इसी सोच में चल रहा है जीवन।
कभी तो दिवा स्वप्न से निकलकर,
परम सत्य की प्राप्ति होगी।

ना जाने ये तलाश कब पूरी होगी!
कब नए जीवन की शुरुवात होगी!
कब होगा जीवन में अंधकार का खात्मा!
कब खुशियों भरी सुनहरी सुबह होगी!


---© निशान्त पन्त 'निशु'

Monday, March 9, 2015

ख्वाब

शायर नहीं हूँ मैं लेकिन,
शायरी लिखने का ख्वाब रखता हूँ।
आशिक नहीं हूँ मैं लेकिन,
आशिकी करने का ख्वाब रखता हूँ।

दीवाना नहीं हूँ मैं लेकिन,
दिल्लगी करने की तमन्ना रखता हूँ।
कोई दिल में नहीं है लेकिन,
दिल देने की तमन्ना रखता हूँ।

कांटे है इश्क की राह में बेशुमार,
फिर भी नंगे पैर चलने की चाहत रखता हूँ।
दिल में जो ख्वाब अधूरा है,
उसे पूरा करने का ख्वाब देखता हूँ।


---© निशान्त पन्त

Sunday, March 8, 2015

तस्वीर

तस्वीर तेरी देख कर,
दिन गुजरे याद आ जाते हैं।
प्यार के पल और मस्ती,
के फ़साने याद आ जाते हैं।

रहते थे तेरी जुल्फों घने साये में,
वो घने साये याद आ जाते हैं।
तस्वीर तेरी देख कर,
दिन गुजरे याद आ जाते हैं।

घूमते थे जब बाँहों में बाँह डाले हुए,
वो ख़ुशी के पल याद आ जाते हैं।
तस्वीर तेरी देख कर,
दिन गुजरे याद आ जाते हैं।

कंधे पर मेरे रख कर सर अपना,
जब तुम साथ चला करती थीं।
दिन वो सुहाने याद आते हैं।

रख कर मेरे सीने पर सर अपना,
जब तुम धडकनें महसूस करती थीं।
पल वो दीवाने याद आते हैं।

तस्वीर तेरी देख कर,
दिन गुजरे याद आ जाते हैं।
प्यार के पल और मस्ती,
के फ़साने याद आ जाते हैं।


--© निशान्त पन्त