Sunday, January 28, 2018

कल्पना

सुबह तुम्हारा अंगड़ाई लेना,
फिर मुझसे गले लग जाना।
नर्म होठों से अपने,
मेरे हृदय को छू जाना,
बड़ा अच्छा लगता है।

तुम्हारा अधरों से अपने,
मेरे अधरों को छू लेना,
बड़ा अच्छा लगता है।

तुम्हारी गर्म सांसो का,
मेरे चेहरे को छू जाना,
बड़ा अच्छा लगता है।

बाहों में बाहें डाल कर,
साथ बैठे रहना,
बड़ा अच्छा लगता है।

काश तुम अभी मेरे पास होती,
यह कल्पना करना ही,
बड़ा अच्छा लगता है।

- © निशान्त पन्त "निशु"