Monday, June 6, 2016

प्यासी धरती

प्यासी धरती पुकार रही है,
इन काले काले मेघों को।
अब तो बरसा दो जल तुम,
और प्यास बुझा दो मेरी तुम।

सुन करुण पुकार इस धरती की,
आकाश में मेघ छाये हैं,
जल साथ में लाये हैं।
प्यास बुझाने को धरती की,
वो आतुर हैं, वो व्याकुल हैं।

--© निशान्त पन्त "निशु"