Wednesday, August 31, 2016

भोले बाबा

तू ही शून्य है, तू ही सत्य है
बाकि सब कुछ झूठ है।
भोले बाबा तेरे दरबार में,
ही सब कष्टों छूट है।

तू ही जीवन है, तू ही मृत्यु।
तू ही सबका पालनहार है।
जो भी भजता तेरा नाम,
पूरे होते उसके काम हैं।

पी कर हलाहल बाबा तुमने,
देव जनों के कष्ट हरे।
कर तांडव तुमने बाबा,
दुष्टों के भी प्राण हरे।

तुम ही आदि हो, तुम ही अंत हो।
तुम ही जीवन का आधार हो।
मेरे प्यारे भोले बाबा
तुम से ही ये सारा संसार है।

--© निशान्त पन्त "निशु"

निवेदन है कि मेरा नाम हटा कर कविता आगे प्रेषित न करें। ऐसा करने से लेखन की भावनायें आहत होती हैं।

Sunday, August 21, 2016

बेटी

यह कविता देश की दोनों बेटियों को समर्पित है जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीतकर देश का मान सम्मान बढ़ाया है एवं उन लोगों के लिये कटाक्ष है जो कन्या भ्रूण हत्या कर देते हैं, या बेटी होने पर उपेक्षा करते हैं।

बेटी


जन्म लिया कन्या ने घर में, सन्नाटा पसर गया।
माँ-बाप, दादा-दादी का सपना बिखर गया।
चाहत थी सबको बेटे की, जो आगे वंश बढ़ाएगा।
क्या पता था, सबका सपना टूट जाएगा।

हुई बड़ी, बेटी धीरे-धीरे, नव यौवन में प्रवेश हुआ।
उसने खेल-कूद को अपना जीवन ठान लिया।
सबने सोचा लड़की है, यह क्या कर पायेगी!!
घर से बाहर निकल कर, केवल ठोकर खायेगी।

उसने जिद न छोड़ी, हिम्मत से काम लिया।
अपनी मेहनत के दम पर, खेलों में भाग लिया।
हो सफल उस लड़की ने, माँ-बाप को श्रेय दिया।
अश्रुपूर्ण नेत्रों से, माँ-बाप ने आशीर्वाद दिया।


-© निशान्त पन्त "निशु"