Sunday, May 3, 2020

कोरोना

रोज़ सुबह ऑफिस को जाना,
शाम को थककर वापस आना,
तूने सब कुछ थाम दिया कोरोना,
ले ली अनगिनत जानें, अब तो बस करोना।

मुश्किल ये घड़ी है
मुसीबत ये बड़ी है।
मजबूरी ही सही लेकिन,
वर्क फ्रॉम होम,
अब लगता सही है।
छूने से फैले कोरोना,
अब नमस्ते ही सही है।
मनुष्य प्राणी है सामाजिक,
प्राण बचाने को अब,
सामाजिक दूरी ही सही है।
अपनी, सबकी, जग की सुरक्षा,
के लिए घर में रहना ही सही है।

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© निशान्त पन्त

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