शायर नहीं हूँ मैं लेकिन,
शायरी लिखने का ख्वाब रखता हूँ।
आशिक नहीं हूँ मैं लेकिन,
आशिकी करने का ख्वाब रखता हूँ।
दीवाना नहीं हूँ मैं लेकिन,
दिल्लगी करने की तमन्ना रखता हूँ।
कोई दिल में नहीं है लेकिन,
दिल देने की तमन्ना रखता हूँ।
कांटे है इश्क की राह में बेशुमार,
फिर भी नंगे पैर चलने की चाहत रखता हूँ।
दिल में जो ख्वाब अधूरा है,
उसे पूरा करने का ख्वाब देखता हूँ।
---© निशान्त पन्त
शायरी लिखने का ख्वाब रखता हूँ।
आशिक नहीं हूँ मैं लेकिन,
आशिकी करने का ख्वाब रखता हूँ।
दीवाना नहीं हूँ मैं लेकिन,
दिल्लगी करने की तमन्ना रखता हूँ।
कोई दिल में नहीं है लेकिन,
दिल देने की तमन्ना रखता हूँ।
कांटे है इश्क की राह में बेशुमार,
फिर भी नंगे पैर चलने की चाहत रखता हूँ।
दिल में जो ख्वाब अधूरा है,
उसे पूरा करने का ख्वाब देखता हूँ।
---© निशान्त पन्त
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