Wednesday, January 1, 2020

खामोश हूँ मैं

"खामोश हूँ मैं"

एक खामोशी सी है,
है एक सिरहन सी,
मीठी सी याद है,
खुशी भरे दिन की।
खामोश हूँ मैं,
या किसी गम
में मसरूफ हूँ।
अकेलेपन में
कहीं गुम हूँ मैं।
जीवन की किताब हूँ मैं,
या किताब का फटा
पन्ना किसी के लिए।
सोचा न था, दिन ऐसा
भी आयेगा,
जब मन मेरा यूँ,
अंधेरे में खो जायेगा।
अच्छा है खामोश हूँ,
मैं खामोश सैलाब हूँ।

-
निशान्त पंत 'निशु'

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