Wednesday, September 2, 2015

जल ही जीवन है।

जल ही जीवन है।

छम-छम छम-छम करके देखो
कैसे बारिश होती है।
टप-टप टप-टप करके देखो
कैसे बारिश होती है।

घोर अँधेरे मेघों को देखो
कैसे नभ में छा जाते हैं।
कैसे छुप कर इन बदरा में
सूर्यदेव इतराते हैं।

हो सवार इन काली घटा पर
इंद्रदेव मुसुकाते हैं।
जल ही जीवन है
यह बात सब को बतलाते हैं।

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© निशान्त पन्त "निशु"

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