Friday, September 4, 2015

प्रेम!

प्रेम!

प्रेम क्या है?
एक एहसास है।
मन का विश्वास है।
पाक और साफ़ है।
ह्रदय में जगी एक आस है।
प्रेम एक चिंगारी है
जो दिल में दबी रहती है
और जीने की चाह बढ़ाती है।

-- © निशान्त पन्त "निशु"

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